शिक्षक
शिक्षक
मिट्टी से गढ़े जैसे कुम्हार आकार
शिक्षक भी शिष्य को दे ज्ञान आपार
धैर्य रखकर हर बच्चे को दिखाए नया मार्ग
जिज्ञासा को सुलझाए उसकी देकर उसका साथ
अनुशासन और नैतिकता का भी पाठ पढ़ाये
अनेक प्रतियोगिताओं से आत्मविश्वास उनमें जगाए
अनेक उलहानों को अनदेखा कर जाए
नित नए नामों से वाक़िफ हो जाए
उसका ध्येय केवल इतना कि हर छात्र सीखे
जीवन की परीक्षा में सफलता को चूमे।