शिक्षित बेटी उज्ज्वल भविष्य
शिक्षित बेटी उज्ज्वल भविष्य
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ,
क्यों जरुरत पड़ी इस अभियान की,
क्या यह एक चरम सीमा नहीं,
ईश्वर के अपमान की।
शक्ति के बिना तो शिव भी,
अधूरे माने जाते हैं,
नारी के बिना कुछ भी नहीं,
पुरुष ये कैसे भूल जाते हैं।
पुत्र-जन्म के उपलक्ष्य पर,
सभी मिष्ठान खाते नज़र आते हैं,
पुत्री-जन्म के सुअवसर पर,
हर्ष क्यों सांत्वना में बदल जाते हैं।
आज भी क्यों इस बात को,
समझने को कोई तैयार नहीं,
पुत्र-पुत्री एक समान है,
पुत्री से पुत्र महान नहीं।
शिक्षित हैं अगर बेटियाँ,
सुव्यवस्थित रहे परिवार,
बेटियों को शिक्षित कर,
शिक्षित करे परिवार।
बेटियाँ पढ़कर आगे बढ़ेंगी,
बेटों से ज़्यादा नाम रोशन करेंगी,
पढ़ने का उन्हें एक मौका तो दो,
मुसीबतें स्वयं उनसे डरेंगी।
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ,
प्रस्तुत अभियान को सफल बनाओ,
ज्यादा कुछ की जरूरत नहीं,
बस बेटियों के लिए दिल में सम्मान जगाओ।।
