शीतलता, धर्म व मानवता
शीतलता, धर्म व मानवता
रावण के अपमान जनक शब्दों का भी प्रभु श्री राम ने सदैव शीतलता, धर्म व मानवता से उत्तर दिया, कंश के अनगिनत अधर्म करने के फलस्वरूप भी भगवान श्री कृष्ण ने कभी कटु वचन उनके लिए नहीं निकाले,इसी वजह से वे दोनों श्रेष्ठ थे,हैं और सदैव रहेंगे, यदि हम भी असुरों की भांति व्यवहार रखेगे,उन्हीं की भाषा बोलेंगे तो हम में और उन में क्या फर्क?
हर युद्ध का अपना एक समय होता है उसी समय का धैर्य पूर्वक इंतज़ार कीजिए,देखिए किसी से कुछ कह कर कोई फायदा नहीं है इससे आपसी द्वेष बढ़ेगा और अंत में न मरेगा हिन्दू न मरेगा मुस्लिम केवल इंसान ही मरेगा, सभी से अनरोध सभी अपने अपने शब्द संभाले और आपस में नही कोरोना से लड़ें । यह प्राकृतिक प्रलय हैं ये किसी का धर्म जाति पूछकर विनाश नहीं करेगा इसीलिए अपने घरों में रहे यदि तुम भी श्रेष्ठ मनुष्यो की श्रेणी में जुड़ना चाहते हो तो प्रभु श्री राम व श्री कृष्ण के अतुल्य व्यवहारों को जीवन में अपनाएं।