शहीद होने की घोषणा
शहीद होने की घोषणा
आज/ उसके समांतर
चल रहा है मौत का शिकंजा
खूनी पंजा
कुर्सियों से उठी हुई
प्रेतात्माएँ
पूरे श्मशान में
चीखती, चित्कारती डोल रही है
और वह मेमने सा भयभीत
आतंकित होकर
शक्ति संचित करने की कोशिश करता है
लेकिन वे प्रेतात्माएँ एक जादुई शक्ति से
उसके खून को स्याही सोख की तरह
चूस लेती है
और, वह स्याह मौत का
इंतजार करने लगता है
लेकिन, नहीं वे उसे जिंदा रखेंगे
किसी भी कीमत पर, वरना
उनके जीने का कोई अर्थ नहीं रहेगा
वे नित नई योजनाएं, घोषणाएँ
उसकी शिक्षा और स्वास्थ्य की बाबत
प्रसारित करते रहेंगे/ आकाशवाणी से
या निकालेंगे जुलूस या
करेंगे क्रांति की बात, किन्तु
इस बीच अनचाहे ही कुछ लोग
सांसे तोड़ देंगे, बिना पूर्व सूचना के ही
उन पर आत्महत्या का आरोप लगाकर
खड़ा कर दिया जायेगा कटघरे में/या
उनकी मौत को शहीदाना करार देकर
उन्हें बड़ी-बड़ी श्रद्धांजलियां दी जायेगी
तब हम भी/ उस दिव्य वातावरण में
उनकी आत्मा को शान्ति मिले
जैसी कामना, या शोक संवेदना व्यक्त करके
अपने मानवीय दायित्व से मुक्ति पा लेंगे.