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Mrs RASSHMI

Action

5.0  

Mrs RASSHMI

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शहादत

शहादत

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माथे पर शोभे लाल तिलक, ओजस्व परिपूर्ण ललाट,

दे दिया तूने बाबा उनके हाथों में मेरा हाथ।


लिया उतार जो ऋण मेरा दिया दानों में महादान,

आप ने निभाया पितृधर्म किया जो मेरा कन्यादान।


कर परोपकार न बुझाना किसी को उसका आभार,

सरोकार देश की मिट्टी से है नयनों मे प्रेम अपार।


पर जो सहेजे सीमा को रखता हर पल ख्याल,

हो जाता घायल शेर सा फ़स राजनीतिक चाल।


बस आँखें होती लाल और धडकन कहती बारम्बार,

अबकी बार ना आना मेरे पवित्र भूमि के इस पार।


वरना मुँह मोड़ेंगे तुझसे तेरा अल्ला परवरदिगार,

और न ही राम करेंगे तेरा कभी भवसागर बेड़ा पार।


ओज है, तेज है वीर प्रताप का प्रताप वहीं है,

शरीर का हर अंग ठंडा आँखें भी भले बंद रही हैं।


पर शान से है सर उठा जोश अब भी बाजुओं में,

ऐसे रणबांकुरे पले है माँ भारती के पहलुओं में।


पाहून आये थे जैसे हमें ब्याहने वैसे ही जच रहे,

आभा वही मुख पर लिए माँँ की गोद में है सज रहे।


सूरज की अरूणाई लिए अंतिम विदाई पा रहे है,

शान्ति और नवभविष्य सबको भेंट दिये जा रहे है।


दो चूटकी सिन्दूर दान कर पूरे जीवन की डोर को,

छोर तक पहुँचाये चले वो अपने जीवन छोर को।


थे वो जीवन साथी अब पथ प्रदर्शक बन गये,

कैसे आये आँखों में आँसू ये भी हठी थे ठन गये।


ये जो देश के शान मे अमरत्व के पथ पर बढ़ गये,

हँसते हँसते खाई गोली और फाँसियों पर चढ़ गये।


सात रंगों का वादा था कई रंगों से जीवन सजो गये,

जाते जाते बाबा वो मेरे अरमानो में नए बीज बो गये।


सब कहते है देखो वो जा रहे हैं,

ऐसा कह कह क्यो मुझको जला रहे हैं।


कोई मेरी आँखों से भी तो देखो की कैसे आपके जमाई,

बाजे बरात साथ चौखट तक परिछन को ला रहे हैं।।


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