शब्दों के मोती
शब्दों के मोती
बकुल वन में कोयल की तान।
हृदय में लाती है नया स्पंदन।
नभ मंडल में घनघोर बादल
कितने सुहावने वो पल।
मोर,मोरनी के नृत्य छटा।
भंग करती वन का सन्नाटा।
मद होस होते प्रेमी-युगल।
करती तनवदन उनका घायल।
पिंजरे में बंद तोते का मैना
किसको सुनाएं अपना रोना।
दिनभर राधेश्याम का रटलगाना
दादी को देखके भागवत बोलना।
आंखों आंखों में बात करना।
छोड़ दो मुझे चाहिए क्षितिज छुना।
सुबह सुबह आंख फड़फड़ाना।
किसी आगंतुक आने के सूचना।
छत पे बैठ काले कौए का यही कहना।
नियति के सृजन समझते गहन।
काले कण्ठ के मधुर तान तोलाल चोंच पे पोथी पुराण।