शायद वो था स्वर्ग
शायद वो था स्वर्ग
एक बार,
मैं निकला,
पहाड़ों की सैर को,
बढ़ा रोहतांग की तरफ,
वो था,
लगभग 14000 फुट समुद्र तट से,
ऊंचाई पर।
जब पहुंचा,
हो गया हक्का बक्का,
ऐसा समतल स्थान,
इतनी ऊंचाई पर,
ठण्ड शरीर को चिरती हुई,
एक तरफ बर्फीली चोटीयां,
उनके ठीक नीचे,
व्यास नदी की पतली सी धारा,
यानि शुरुआत,
सबकुछ एक दम शुद्ध,
प्रदुषण का नाम नहीं,
ऐसा लगता,
मैं किसी और,
दुनिया में आ गया,
जहां सबकुछ ऐसे,
जिसको किसी ने छुआ,
नहीं जैसे।
