शांति...
शांति...
मन की तपिश को
पराभूत कर
जब कोई अपने चेहरे पर
ऐसी मुस्कान लाकर
जीवन-संग्राम में
वीरत्व दिखाकर
पर-दुःख से हो कातर
निज स्वार्थ-चिंता का त्याग कर
मानव-जन की कल्याण हेतु
सबको अपना मानकर
विश्वहित को सर्वोपरि रखकर
सत्साहस से
सत्संग को अपनाकर
निष्काम कर्म करते जाने की
संकल्पना कर
नित्य सत्य, अहिंसा एवं
शांति की खोज कर
स्वयं को बेहतर बनाने की धुन में
स्वहित को भी 'स्वाहा' कर
जनहित में
अपना ध्यान लगाकर
जब कोई तेजस्वी इंसान
इस जग में पदार्पण कर
कुछ असाधारण कार्यों को
संपन्न कर
एक अबोध मुस्कान
बिखेरता है,
उसी में शांति की
अद्भुत झलक
देखने को मिलती है अक्सर !
क्या आप अपने
मनोबल को दृढ़ कर
ये संकल्प लेने की
सदिच्छा रखते हैं
कि आप कभी
नकारात्मक सोच के तले
स्वयं को
भूलवश अधोमुख पतित न करेंगे?
उत्तिष्ठ-जाग्रत होकर
करें स्वयं पर विजय...
स्वयं पर विजय...
स्वयं पर विजय...
