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Goldi Mishra

Inspirational

4  

Goldi Mishra

Inspirational

शान्ति का पैगाम

शान्ति का पैगाम

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हाथ में कुछ चिट्ठियां लिए वो डाकिया घर से निकला,

इस अशांत दुनिया से दूर एक शांत ठिकाना ढूंढने वो निकला।

उन चिट्ठियों में सिफारिश थी जंग और मजहबी दंगो को रोकने की,

चारों ओर फैली इस अशांति को रोकने की,

सरहदों ने बाटे है मुल्क और मज़हब,

ये शोर ये खून खराबा आखिर कब तक।


हाथ में कुछ चिट्ठियां लिए वो डाकिया घर से निकला,

इस अशांत दुनिया से दूर एक शांत ठिकाना ढूंढने वो निकला।

हथियार और बारूद की धुंध में कही इंसानियत ना ओझल हो जाए,

इस शोर के गलियारे में कही तो अमन और चैन का उजाला नज़र आए,

युद्ध का बिगुल बजा और मानवता का अस्तित्व उजड़ गया,

शांति की बाती में प्रज्वलित दीप बुझ गया।


हाथ में कुछ चिट्ठियां लिए वो डाकिया घर से निकला,

इस अशांत दुनिया से दूर एक शांत ठिकाना ढूंढने वो निकला।

दूर देश किसी परदेश में कही,

किसी पेड़ की डाली पर शांति के गीत कोयल गाती होगी,

बिलखती आंखों ने आसमान से फ़रियाद की,

बस शांति और सुख की फरियाद की।


हाथ में कुछ चिट्ठियां लिए वो डाकिया घर से निकला,

इस अशांत दुनिया से दूर एक शांत ठिकाना ढूंढने वो निकला।

डाकिए तुम मेरा ये पैगाम ले जाना,

अमन और शांति के संदेश सरहद पार दे आना,

मन के बैर और हर कालिख जब मिट चुकी होगी,

शांति और बंधुत्व की भावना हर ओर बिखरी होगी।


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