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Praveen Gola

Inspirational

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Praveen Gola

Inspirational

सच्चे रिश्ते

सच्चे रिश्ते

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सीख और शिक्षा ही तो, भरी थी उनकी गोद में,

मैं फिर भी भाग रही थी, दूर किसी छोर में।

एक 6×4 की स्क्रीन, मेरा दिल बहला रहीं थी,

आज अपने ही बुजुर्गों से मैं ,आँख चुरा रही थी।

जैसे एक हिरण वन में, कस्तूरी को है तलाशता,

वैसे ही मैं भी, सच्चे रिश्ते थी तलाशती।

मगर वो रिश्ते कब बने, कब टूटे ... पता ही ना चला,

रोने के लिए तब सर रखा, फिर उसी गोद में

सच्चे रिश्ते तब समझ आये, जब बुजुर्गों ने ज्ञान बरसाये,

मन को मिली तब ऐसी सीख, कि अपनों से ही होती जीत।।



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