सच्चा प्यार मेरे पतिराजा
सच्चा प्यार मेरे पतिराजा
मैंने चाहा तो बहुत बहुत तुम्हें
तूने भी तो बहुत प्यार दिया
सोच कर शादी के नाम से
डर जाते थे ससुराल के नाम से
कैसा होगा वो अनजाना सा
हमसफ़र अपना होगा या
फिर होकर रहेगा बेगाना सा
एक दिन आये जब हमारे घर
गोद भराई की हो गई रस्म
आठ दिनों में ही हो गई शादी
बोलचाल की भाषा सुनी तो
प्रेरणा तो एक दम डर गई
अरुण संग रहने में सहम गई
फिर उन्होंने प्यार से समझाया मुझे
तुम मेरी पत्नी हो सदा चाहूंगा तुम्हें
अपने मान से ज्यादा मान दूंगा तुझे
इतना सुनकर मुझे। रोना आ गया
मेरे माता का बहुत बड़ा योगदान
बड़े भाई ने कहा कि बहुत अच्छे है
मैंने ईश्वर को दिया धन्यवाद
यही तो है सुरेश सच्चा प्यार
मेरे हमसफ़र मेरे पति राजा
कभी किसी नजर ना लगे
सदा बना रहे हमारा सच्चा प्यार।