सच्चा इश्क़
सच्चा इश्क़
इश्क़ की नही कोई जात, नही कोई मज़हब होता है,
जहा दो दिल मिल जाये वो ही खुदा का घर होता है...
कर सको तो यारो मोहब्ब्त करो किसी से नफरत नही,
नफ़रत से तो एक फूल भी हमें कांटें सी चुभन देता है...
मोहब्ब्त तो बरसात का एक पावन सा गंगाजल है,
सच्चे प्यारवालों के लिये तो कठौती में गंगाजल होता है...