सबको जरूरत भावों की।
सबको जरूरत भावों की।
भावों में क्या करामात,
जो सबको जरूरत भावों की।
दुनिया में अच्छे भावों की,
सबको जरूरत भावों की।।
एक भाव है प्रेम बढ़ाता,
एक भाव निष्ठुर बन जाता।
एक भाव से बनते अपने,
एक से पराए हो जाते हैं ।।
अच्छा भाव सदा सुख देता,
भाव हो दुख सबका हर लेता।
जीवन तो सब जी लेते हैं,
अश्रु बिंद सब पी लेते हैं।।
जो भाव से जीवन यापन करते,
भाव से सद्गति पा लेते हैं।
एक भाव है ऊंचा उठाता,
आकाश तक तुम को पहुँचाता।।
विज्ञान का भाव भी जुड़ जाता,
चाँद सितारों तक ले जाता।
छोटा भाव जभी आ जाता,
ऊपर से नीचे गिराता।।
अच्छे भावों को पहचानो,
अपनी भलाई इसमें जानो।
सदा भाव रखना अच्छा तुम,
अच्छे गुणों को तुम पहचानो।।
मन के भावों को पहचानो,
अपनी बड़ाई इसमें जानो।
तुम बढ़ना बड़े ही भावों में,
मत जाना गंदे ख्वाबों में।
भाव ही सबको ऊंचा उठाता,
भाव ही सब को नीचे गिराता।।
सब्जी तक के भावों में
बढ़ती महंगाई भावों में।
गोबर के जो कीड़े होते,
भाव भरा सब गोबर का।
फूलों के भँवरों को देखो,
भाव भरा सब फूलों का।।
फूलों की पंखुड़ियों पर,
जीवन को सब जीते हैं।
भाव भर जाए परमपिता में,
परम पिता पा लेते हैं।।
मन के भावों को लेकर,
प्रधानमंत्री बन जाते हैं।
जो भाव है भरते राष्ट्रपति के,
राष्ट्रपति बनकर कर दिख
लाते हैं।।
आप भी अपने मन के अंदर,
अच्छे भाव भरो तुम जी।
जो बनना है जग में अच्छा,
ऊंचा नाम करो तुम जी।।
भाव भरा था गांधीजी में,
भारत को आज़ाद कराने का।
भाव भर दिया हर प्राणी में,
आज़ादी को पाने का।।
भारत को आज़ाद कराया,
अंग्रेजों के शासन से।
अंग्रेजों को इंग्लैंड भगाया
सब भारत के अनुशासन से।।