सबका साथ ज़रूरी है
सबका साथ ज़रूरी है
इंसानियत पर एक आफ़त आयी है
वायरस और बेवक़ूफ़ी साथ लायी है
सारे जहाँ की अवाम है परेशान
हर जगह बस क़यामत सी छायी है।
लाखों ने दुनिया से रुख़्सती ले ली है
और लाखों पड़े हैं बीमार
रहनुमाओं ने पूरी ज़ोर दे दी है
बस कुछ बेवक़ूफ़ों से हैं लाचार।
ऐसी घड़ी में भी ये क्या हो रहा है
अभी भी कोई नफ़रत के ज़हर घोल रहा है
मंदिर और मस्जिद से ऊपर नहीं उठ पाए
क्या अभी भी तेरे अंदर का इंसान सो रहा है।
जान पर खेलकर हमें कोई बचा रहा है
कुछ तो समझो, क़द्र करो
रहनुमा जो अपना देश चला रहा है, उसको
कुछ तो हिमायत दो, शर्म करो।
बैठो कुछ दिन घर पर
खुदा की बरक़त मान लो
बिताओ वक़्त खुद के साथ
अपनी अहमियत तो जान लो।
बिना तेरे...बिना मेरे, हर एक आस अधूरी है।
इस जंग को जीतने के लिए सबका साथ ज़रूरी है।