सबक
सबक
जिंदगी इतनी व्यस्त हो गई थी कि
अपनो से मिलने के लिए तरस गयी थी
दादा दादी नाना नानी कौन कहे
नन्ही आंखें माता-पिता से मिलने को तरश गयी थी
हाई फाई लाइफ में फैमिली लाइफ मिस हो रही थी
बच्चो की बुढ़ों की दुआ ऐसी कबुल की ईश्वर ने
कि घंटे और दिन की क्या बात करे
अब महीनों से है संग में
सच ही कहा हैं बुजुर्गों ने बुरा वक़्त भी
कुछ अच्छा ले के आता है।
जाता है अपने समय पर पर कुछ
अच्छी यादें और कुछ सबक भी दे जाता है।
