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MS Mughal

Abstract Fantasy

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MS Mughal

Abstract Fantasy

सौज़ ए इश्क़

सौज़ ए इश्क़

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हम इस सौज़ ए इश्क़ में तेरे, उतरे तो उतरे कैसे 

की है सद हज़ाराँ फितने, निकले तो निकले कैसे 


इस दिल पर कायम ओ दायम है, दिलरूबाई तेरी

हर तरफ तू ही तू है, हम पाए तो पाए कैसे 


माह ओ अंजुमन ओ आसमां ओ कहकशा सा तू

परी पैकर हुस्न है तू, हम ये कहे तो कहे कैसे 


जुल्फ ए हसीन, सेब ए जखन, व शीरिं लब तेरे

की तू समा गया हम में, हम समाए तो समाए कैसे


दिल, जिगर, अक्ल ओ ख्याल, कलम ओ किताब

तमाम चीजों में उतर गया तू, लिखे तो लिखे कैसे


इस तेरी शनासाई से, मेरी पहचान है दुनिया में

बिन देखे तेरे, लोग मुझे पहचाने तो पहचाने कैसे


एक दिल रूबा ने, हैरत जदाह कर दिया 'हसन' 

अब क्या किसी से कुछ, कहे तो कहे कैसे 



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