सौगात
सौगात
यूँ ही छिड़ गयी इक बात
बीवी ज़िम्मेदारी या सौगात
ताल ठोक कूद पड़े अखाड़े में महारथी महान
बीवी फुलझड़ी है, रंग बिरंगी रोशनी वाली
आने पर उसके मनती दीवाली
तीन गुना बढ़ जाती रोशनी
साथ गर हो, अनार सी साली।
फूलझड़ी तो सही कही,
झाड़ती बात बात पर मेरी वाली,
कसर कुछ न कोई छोड़ती
हूँ, फ़ूल झाड़ने वाली, मेरी फुलझड़ी बोलती।
भाभी जी की बात निराली,
फ़ुलझड़ी क्यों बताते उनको,
वो तो बंब है सुतली वाली।
क्या ज़ोरदार पटाखा, पाये हो।
कहाँ से ढूँढ लाये हो?
बंब के धमाके को बेटा न सम्भाल पाओग,
टूटे / फूटे कूड़े के, डिब्बे में नज़र आओगे।
रसीली रस मलाई सी, दुल्हनिया जो पाये हो,
अभी तक सब से तुम, छुपाये हो।
ताड़ लिये एक दिन, चुपके से हम।
बेटा !!!ईद का चाँद लाये हो।
चाँद के दाग हमी से पूछो,
गिन गिन पक गया हूँ।
इक बात समझ लो भैया,
दाग छुपाते /छुपाते थक गया हूँ।
इक बात पते की कह दूँ।
गर कच्ची न पड़े यारी,
प्यारा लगे पूत अपना,
बीवी दूजे की प्यारी।
अपनी बीवी सूखी घास, क्योंकि है एकदम पास,
हरी भरी सी नज़र आती, दूर जो क्यारी है
एकदम साफ़ है इक बात ,
वो सारी ज़िम्मेदारी तुम्हारी उठाती है
तो ! तुम हो ज़िम्मेदारी, पत्नी प्यारी सी सौगात।
पत्नी प्यारी सी सौगात ।