सावन
सावन
सावन तो आ गया,
ख़ुशियों की चादर बिछा गया।
सावन की खुशी दिखाई दे रही है,
क्योंकि वर्षा भी तो हो रही है।
सावन का अमृत पीना है,
भोलेनाथ का यह महीना है।
देख रहे हो सबको है,
जो कैलाश पर बैठे।
पता नहीं कब आएंगे,
दर्शन हमें दिखाएंगे।
पिता तुम देवों के देव मेरे,
बेटी मैं तुम्हारी,
दर्शन मुझे दिखाओ ना,
अपने साथ कैलाश मुझे ले जाओ ना।
भोलेनाथ राखी मुझ से बंधवा कर जाना
मेरा मन बहला कर जाना।
दर्शन मुझे देकर जाना,
हर साल राखी बंधवाने आना।
फिलहाल अभी यह एक सपना है,
बना देना इसे अपना है।
भेदभाव, घमंड को दूर करके,
ईर्ष्या, आलस्य को दूर करके,
मनाए हम सब यह सावन मिल करके।
भोलेनाथ सिर पर रख दो अपने दोनों हाथ,
भोलेनाथ देना है तो दीजिए जन्म-जन्म का साथ।
डमरु वाले हर वक्त साथ हमारे रहेंगे,
हर हर महादेव हम सब कहते रहेंगे।