सावन
सावन


वैशाख की तपन से तप्त धरा को
राहत पहुँचाने को,
बारिश की बूँदों से तन की अगन
सदा बुझाने को,
पेड़ों की हरियाली को सूरज की
ताप से बचाने को,
इस बार तुम सावन ऐसे आना।
सावन तेरे आने से जीवन में फिर से
रौनक भर जाये,
विरह ताप में जल रहे प्रेमी युगल का
मन शीतल हो जाये,
उम्मीदों की हल्की हल्की मंद बयार से
जीवन सुहाना हो,
इस बार तुम सावन ऐसे आना।
हरा भरा हर शै हो धरा पर हरियाली
छा जाए,
सजनी के हाथों में लगी मेहंदी पिया से
प्रेम का रंग दिखाए,
धानी चुनर ओढ़े गोरी बोले शस्य श्यामला
धरा हो,
इस बार तुम सावन ऐसे आना।
भाई बहन के प्रेम का रक्षा सुत उनके स्नेह
को मजबूती से बाँधे,
देश प्रेम के लिए जवान सीमा पर तनकर
खड़े सीना ताने,
हरियाली तीज का व्रत रख गोरी पति के दीर्घायु
होने को व्रत रखती हो
इस बार सावन इन उम्मीदों को पूरा करने आना।