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RAJNI SHARMA

Abstract

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RAJNI SHARMA

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साथ का विश्वास

साथ का विश्वास

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गृहस्थी की नैया में ,

मांझी से मिलना है,

डूबती हुई कश्ती को,

जब पार लगाना है,

कष्टमय जीवन में,

अपनेपन का एहसास,

साथ का विश्वास,

होता एक और एक ग्यारह का आभास। 


केवट सा खेवनहार,

राम कारज करन को,

रघुवीर मिलन अपार,

मंद मंद मुस्कान बिखेरे,

नयनों से बतियों का प्यार,

साथ का विश्वास,

होता एक -एक ग्यारह का आभास।


केशव सारथी रणभूमि में,

अर्जुन रणबीर गांडीव उठा,

कौरव सेना के पराजय से,

बने शौर्य पराक्रमी हर बार,

साथी को नमन बारम्बार,

कृष्ण मुरारी बनें सारथी,

लगाएँ सबकी नैया पार,

साथ का विश्वास,

होता एक और एक ग्यारह का आभास।               


एक दोस्त मिले सभी को,

ठीक हूँ कह देने में भी,

समझे हृदय के दर्द को,

असहनीय क्षण बनें,

ऐसे में कुछ खास,

साथ का विश्वास,

होता एक और एक ग्यारह का आभास।


राष्ट्र पर विपदा आए,

मन कर्म से एक हों,

शत्रु टिक न पाए,

देश की खातिर ,

हर दिल निज विश्वास,

होता एक और एक ग्यारह का आभास।



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