सात रंगों सी----रंगीली जिंदगी
सात रंगों सी----रंगीली जिंदगी
कई सारे खूबसूरत रंगों से सजी जिंदगी का
खुद का कोई रंग नहीं होता
कभी खुशियों की आशा
कभी गम की निराशा
यही तो है जिंदगी की परिभाषा
जीवन में खुशियां है----- तो रंगीन है जिंदगी
जीवन में गम है------ तो संगीन है जिंदगी
कभी प्यार से गुलाबी है
कभी गुस्से से लाल पीली
परिस्थितियों की मार खाकर
हो गई जिंदगी नीली
कभी सूरज का सुनहरा रंग जीवन पर छाया है
कभी निराशा का काला घटाटोप अंधेरा आया है
कभी वैराग्य का पीच रंग, मन को भरमाया है
कभी हरा-भरा उपवन , मन में लहराया है
कभी पराबैंगनी किरणों ने तड़पाया है
कभी पीली धूप ने , प्यार से सहलाया है
यह जिंदगी के रंग है , साहब!
पल पल में बदल जाते हैं
कभी जान से प्यारे,
कभी अजनबी बन जाते हैं
इन खूबसूरत रंगों की उठाकर पोटली
चल दिए हैं, जिंदगी के लंबे सफर पर
इन झिलमिलाते रंगो के सफर में
रंगीन होती जिंदगी, एक दिन,
सो जाएगी, काले रंग के आगोश में,
सात रंगों से सजी यह जिंदगी
सो जाएगी एक दिन,
कहीं खो जाएगी एक दिन
यह रंगों से सजी जिंदगी।