साँस ….. पल पल बढ़े
साँस ….. पल पल बढ़े
साँस … पल पल
हर पल साँस घट जाती है
पल बढ़ते हैं ….. साँसे कम हो जाती हैं
ज़िंदगी की डोर है ये …
गिनती गिन के कर लो ज़िंदगी की हर बात जी लो हर पल
काट के नहीं हर लम्हे को पिरो लो
जब जाएंगे यहाँ से हमें याद नहीं रहेगा
पर नयी साँसे जीने वालों को याद दिलाएगा
हर पल की …..एक साँस है
क़ीमत उनकी बढ़ाएगा
घटा ना पाएगा उन को
उन्हें जीने वाले हज़ारों …. शख़्स की साँसे जोड़ जाएगा