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Shyam Kunvar Bharti

Romance

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Shyam Kunvar Bharti

Romance

साइया आईले ना अंगनवा

साइया आईले ना अंगनवा

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होली खेले तरसे मोर मनवा ना।

सइयाँ अइले ना भवनवा।

सबकर लऊटी अइले सजनवा ना।

उड़ेला गुलाल अब गगनवा।


छोड़ा नोकरिया सइया घरे चली आवा।

होलिया मे सइया जनी छछनावा।

धक धक धड़के मोर परनवा हो।

सइयाँ अइले ना भवनवा।


सइया तोहरी याद मोर बरसे नजरिया।

फागुन मे रंगवा खेले तरसे गुजरिया।

पगली कहे हमके जमनवा हो।

सइयाँ अइले ना भवनवा।


अइबा जे घरवा सोरहो सिंगार हम करब।

रंगवा अबिरवा तैयार हम करब।

खेलब संगवा होली इहे बा अरमनवा हो।

सइयाँ अइले ना भवनवा।


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