सादगी का मोल
सादगी का मोल
तड़क भड़क की इस दुनिया में
सादगी का मोल ना होता ,
कुछ ऐसे रह जाते पीछे
जिनका कोई तोल ना होता ।
आडम्बर की महफिल में
दब रह जाती काबिलियत ,
असली प्रतिभा छिप जाती
कमतर पा जाती शोहरत ।
भव्य इमारत में ना दिखता
नींव के पत्थर का बलिदान ,
सुदृढ़ बनाता काया कोई ,
शहंशाह बन जाता महान ।
हुनर छिपा है जो किसी में
चहिये कोई निखारने वाला ,
स्वयं की पहचान कठिन
चहिये जौहरी तराशने वाला ।
बाह्य आवरण से परे
भीतर की परखो चमक ,
गहरा पानी शाँत दिखे
गागर अधजल जाये छलक ।
सादा जीवन उच्च विचार
जिसका कोई खोल ना होता ,
शानो शौकत मात्र छलावा।