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Tanuja Joshi

Inspirational

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Tanuja Joshi

Inspirational

पहाड़ पर जिंदगानी

पहाड़ पर जिंदगानी

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कहते हैं पहाड़ सी होती जिन्दगानी, 

यहाँ पहाड़ पर बसती देखी जिंदगानी । 

दूर देखो तो मंजिल नहीं आती समझ, 

पास जाओ तो उलझन तुरन्त जाती सुलझ । 

छल कपट से दूर भावों में घुली मधुरता, 

शानो शौकत से दूर, कर्तव्य में पूर्ण सजगता । 

ठूंसे दिखते पत्थर, पर दिल में रमी नरमायई, 

जोश जिनके इरादों में वही चढ़ते हैं चढ़ाई । 

धन्यवाद है पर्वतों जो दे रहे हो इतना सहारा , 

ढाल ढाल फसल तो कहीं खाल खाल धारा । 

सर्पीली राहें बनायीं अपना सीना काटकर , 

कच्चे पक्के भवन तराशे काया अपनी छाट कर । 

फैला अपनी बाँहें, बसा गावों को दिया नाम, 

चरणों में शहर, विराजमान चोटी पर धाम । 

एक सतह जो ऊंचाई से अभी दिखती नीची , 

कुछ ही मोड़ बाद वही दिखने लगती ऊँची । 

अभी जो ऊंचा है पल में

हो जायेगा नीचा , 

जो दिख रहा नीचा , पल में हो जायेगा ऊँचा ।

ऊँच नीच का यह भेद मिटा देता एक मोड़ , 

और इसी खेल में समाया जीवन का निचोड़ । 

पहाड़ों को चीरती बहती नदी की छटा निराली , 

तो रात को रोशनी घर घर की बन जाती दीवाली । 

किया श्रृंगार ओढ़ जिस हरियाली का परिधान , 

दावानल व कटाव सह तड़प रहा है बेजुबान । 

ढूँढ रहे रौनक दिनोंदिन जो होते जा रहे वीरान , 

सँवार दो वो घर पुनः सुना कोई सुरीली तान । 

रुक जाये यहीं अब पहाड़ का पानी और जवानी , 

क्योंकि पहाड़ सी नहीं पहाड़ पर भी जिन्दगानी । 

            

                                      



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