सादगी बनी पहचान
सादगी बनी पहचान
अंतर में रख लिया
विश्वास का एक इंसान
और राह चल दिया
सादगी बनी पहचान
सच को साथ दिया
और हाथों लेकर ईमान
कुछ पल रुक लिया
और किया शुक्रिया भगवान
मन की राह बन गया
ख़ुद के चाहत की जान
कदम बढ़ाता गया
और बन गया अजूबा इंसान
जमीं भी ख़ूब जिया
आसमां को देखे इंसान
सूरज भी सीख लिया
संघर्ष पथ चलता हैं ईमान।