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Garima Kanskar

Romance

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Garima Kanskar

Romance

रूहानी दोस्ती

रूहानी दोस्ती

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ये ना पूछो वो

कौन थी

कैसी थी

कहाँ थी

बस जैसी भी थी

मुझे किस्मत

से मिली थी।


जब से मिली थी

तब से

मेरी दुनिया

फूलो की तरह

खिली थी।


अपनेपन की

कोई कमी नहीं थी

हर तरफ खुशियों की

बारिश सी हो रही थी।


सारे बेजान सपने हरे

होकर साँस ले रहे थे

और सच हो रहे थे

उसके होने से

जिंदगी जिंदगी

लगती रही।


उसके जुदा होने का

ख्याल ही रातों की

नींद छीन लेता

फिर उसे कैंसर का

रोग हो गया

जो उसे मौत के

आगोश में सुला ले गया।


पर आज भी ऐसा

लगता है

वो मेरी रूह में समाई है

वो मुझसे जुदा नहीं

हर पल मुझसे

बात करती है

मेरे हर एहसास में रहती।


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