रूह में बसा इश्क महक बनकर
रूह में बसा इश्क महक बनकर
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जब से,
रूह में बसा है तेरा इश्क महक बनकर,
रग रग में बस गया इश्क लहू बनकर,
तब दिल भी महक उठा धड़क बनकर ।
जब से,
रूह में बसा है तेरा इश्क महक बनकर,
हरियाली सी छा गई इस बंजर रण के अंदर,
तब बसंत भी चहक गया सुखे पत्ते के अंदर ।
जब से,
रूह में बसा है तेरा इश्क महक बनकर,
अमावस भी रह गई चांदनी में सिमड़कर,
तब सितारे भी चमक उठे नन्ही बनकर ।
जब से,
रूह में बसा है तेरा इश्क महक बनकर,
आसमान भी बरस गया बारिश बनकर,
तब धरती भी निखर गई नूर-ए-दुल्हन बनकर ।