STORYMIRROR

PRATAP CHAUHAN

Abstract Inspirational

4.5  

PRATAP CHAUHAN

Abstract Inspirational

रूढ़िवादी बेड़ियां

रूढ़िवादी बेड़ियां

1 min
1.2K


 धन्य है वह समाज,

धन्य हैं  वह  बेटियां|

 जिन्होंने तोड़ दीं,

सारी रूढ़िवादी बेड़ियां।


 ज्ञान का सागर समेटे,

चल पड़ी हैं बेटियां|

 लहर बन कर अब उठी हैं,

ना  रुकेंगीं बेटियां।


 युग रहे उज्जवल सदा,

अब वक्त वो भी आ गया|

 रोशनी बन कर उठी वह,

 और उजाला छा गया।


 देख ले अंबर भी तू अब,

 सैनिक परी की रैलियां|

 वह लड़ाकू घोर घातक,

 विमान उड़ाती बेटियां।


 इस जमीन की सरहदों पर,

 पहरा लगातीं बेटियां|

 देश की प्रगति करातीं,

  जांबाज अपनी बेटियां।


 दूरकर पाखंड सारे,

चल  पड़ी ये  बेटियां |

 इंसान है कि जो भूल थी,

वह सुधारती हैं बेटियां।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract