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Surendra kumar singh

Inspirational

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Surendra kumar singh

Inspirational

रूबरू होते ही

रूबरू होते ही

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तुमसे रूबरू होते हैं

तो अजीब सा होता है

अजीब सा मेरी कल्पना से परे

दुनिया ठीक ठीक वैसी ही

गुजरती हुयी दिखती है

जैसे कि गुजर रही है

और दिखती हैं

उसकी मुश्किलों की वजहें

ये जिनकी हैं आम तौर पर

अजनबी ही हैं वे लोग 

उन मुश्किलों से।

कितना अजीब लगता है

मनुष्य अपने लिये मुश्किलें

निर्मित कर रहा है

और उसे लग रहा वह अपनी

मुश्किलों से बाहर निकलने की

नायाब कोशिशें कर रहा है।


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