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Mehdi Imam

Romance

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Mehdi Imam

Romance

रस्ते इश्क के .....…

रस्ते इश्क के .....…

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करता हूं हर बार जब मैं,

पार रस्ते इश्क के।

सोचता हूं, हैं बहुत, 

दुशवार रस्ते इश्क के।


मैं सरापा, इश्क हूं, 

है इश्क ही, खूं में मेरे।

साथ चलते हैं मेरे, 

दो चार रस्ते इश्क के।


तुम इसे हरग़िज़ ना अब,

यूं आग का दरिया कहो।

मेरी नज़रों में तो हैं, 

गुलज़ार रस्ते इश्क के।


चाहता था मैं किसी के,

दिल को ना रुसवा करूं।

कर दिए फिर मैंने कुछ,

तैयार रस्ते इश्क के।


दौलतों ने ख़ूब चाहा,

प्यार को रुसवा करें।

पर ख़रीदे न गए,

ख़ुददार रस्ते इश्क के।


लैला मजनू की कहानी,

अब पुरानी हो गयी ।

हो गए हैं इनसे अब,

बेज़ार रस्ते इश्क के ।


चाहिए नयी नस्ल को,

फ़रहाद ओ शीरीं भी नये ।

चाहते हैं अब नया,

मेयार रस्ते इश्क के ।


है वो आशिक़ ही नहीं,

जो जिस्म को तरसा करे।

रूह तक ले जाते हैं, 

दींदार रस्ते इश्क के।


है वो आशिक़ जो करें,

ख़ुद को फ़िदा महबूब पर।

चल नहीं पाए कभी,

मक्कार रस्ते इश्क के।


तुम गुज़र जाओ बे-फिक्री,

से बिना कागज़ के अब।

मांगते हैं कब तेरा,

आधार, रस्ते इश्क के।


तुम हो राजा या कोई,

तुम रंक हो मतलब नहीं।

देखते हैं बस तेरा,

किरदार रस्ते इश्क के।


मैं वज़ाहत क्या करूं,

है इश्क में कैसा मज़ा।

चल के देखो तुम फ़क़त,

इक बार रस्ते इश्क के।


है तकाज़ा उम्र का, बस,

रोक लो क़दमों को अब।

हो ना जाएं फिर कहीं,

मिसमार रस्ते इश्क के।


गीत ये सुनकर कहा,

'मेहदी' से फिर ये इश्क ने।

छोड़कर जाओ ना अब,

सरकार रस्ते इश्क के।


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