ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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रोटी

रोटी

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जिसको कमाने में पुरुष के छूटते हैं पसीने,

पर गोल ना बनने पर औरत के होते छलनी सीने,

जैसे रोटी की खूबसूरती भूखे का पेट भरेगी,

ना बनी गोल मटोल तो कहाँ अच्छी बीवी बनेगी।


गोल प्यारी रोटियाँ अरेंज्ड मैरिज वाली बनाती है,

लव मैरिज वाली तो सिर्फ मुँह फुलाती है,

ऐसा कुछ वायरल वीडियो में सुना था,

कई औरतों ने भी उसे लाइक कर चुना था।


रोटियों का गोल्ड स्टैण्डर्ड माँ दादी ही तो सिखाती हैं,

"तुम शहंशाह हो" बेटों को ये महसूस कराती हैं,

गोल फुल्का ना बनें तो लड़की चपाट भी कभी खाती है,

चपाती से चपाट का दर्द आंखों से तय कर जाती है।


ये नहीं कहती गोल फूली रोटी बनाना दरकार नहीं,

समय के साथ सीख जाएगी कोई सर पर तलवार नहीं,

और ना भी सीख पाये तो इतनी भी हाहाकार नहीं,

अरे पेट ही में तो जाएगी ये कोई पुरस्कार नहीं।


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