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Indu Kothari

Inspirational

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Indu Kothari

Inspirational

रोजगार

रोजगार

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 आज दर- दर भटक रहा युवा  

 अब तो मन भी उदास हुआ

 वह जाये तो जाय कहां

 एक तरफ है खाई गहरी

 दूजा जीवन दूभर शहरी   

 

पढ़-लिखकर बैठा है खाली

घर के हालात, भी है माली

दिल का चैन सुकून गवांकर 

खुद ही खुद को देता गाली


रोजगार भी अब खत्म हुए 

सपने भी सब काफूर हुए

अपनों ने भी किया किनारा

रिश्ते, नातेदार सब दूर हुए।


अब है लाचार विवश मन

थका हारा व्याकुल तन

सोचता होकर अब निराश

टूट चुकी है उसकी आस


कैसे जीऊं अपना जीवन

पेट की आग सताती है

पर आगे बढ़कर कर्म करो 

हम सबको यही बताती है।


मन के हारे हार है 

मन के जीते जीत  

इसमें ही समझदारी

और, यही पुरानी रीत


श्रम के आगे सब झुकते हैं

कर्म योद्धा कब रुकते हैं

जो श्रम सीकर, हैं बहाते

वहीं कर्मवीर हैं कहलाते।।


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