रंगपर्व होली
रंगपर्व होली
मनभावन लगता सबको
रंगों का त्यौहार जो होली।
बड़के बूढ़े मिल फागुनी गाते
हुडदंग मचाती बच्चा टोली।
आओं मिलकर छोड़ ईर्ष्या
लोभ क्रोध की होली जलाएं।
मिटाकर दिलों की अब दूरियाँ
स्नेहिल भाव अनुराग उपजाएं।
स्त्रीत्व चंचलता और रोमांस
प्रतीक अरुणित अबीर उड़ाएं।
नित्य राष्ट्रीयताभाव संजोकर
शोभित गुलशन सा राष्ट्र सजायें।
दृढसंकल्पित रहे सदा हम सब
बांधें मिल एकदूजे के हस्त मौली।.
लाल वर्ण करता सबमें
ज़ज्बा जनून और प्यार।
काला कुलषित है सदा
लालित्य शक्ति परिष्कार।
श्वेत देता पवित्रतापूर्ण
सादगी शांति और सरलता।
भूरा भरता सुगम प्रकृति में
निश्छल स्वस्थता की निर्भरता।
प्रभु शाश्वत सुख स्वास्थ्य
सर्वदा चैन से भरें झोली।.
हरा जीवन प्रकृति विकास
नीला शांत विश्वास कल्पना।
बना रंगों का मेल विरल तो
पीला खुशी धूप की अल्पना।
नारंगी में भरी परिपूर्णता
उत्साह की रचनात्मकता।
बैंगनी दिखलाता सबको
रहस्यपूर्ण आध्यात्मिकता।
सभी रंगों से खेली जाती
कहलाती रंगपर्व जो होली।