रंगने दो मोहें रंगने दो
रंगने दो मोहें रंगने दो
रंगने दो मोहें रंगने दोसाँवरे के रंग में, मोहें रंगने दो
दूजा ओर कोई रंग न भाएं
मनमोहन का रंग जो किसी पर चढ़ जाएं
फूलों वाली होली खेलूं या कीचड़ वाली
या मैं खेलूं तोहें संग लठ्ठमार होली
ख्यालों में ही क्यों मोसे बतयाएं
या कोई ऐसा रंग है जो मोहें श्याम मिल जाएं
तुम्हारी बाँसुरी का संगीत बन जाऊं
या साँवले रंग में तुम्हारे घुल जाऊं
क्यों निंद्रा में मोहें तड़पाएं
दूर रहकर भला तोहें क्या मिल जाएं
रंगने दो मोहें रंगने दो
साँवरे के रंग में, मोहें रंगने दो
सवेरे- सवे
रे पनघट पर घागर फोड़ने आ जाएं
बिन चुराएं माखन तोहें तो खाते न आएं
मैं कैसे तुम्हें कोई पैगाम भेजूं
तुम ही दूर से पढ़ लो ना मन मेरा
भूल से ही सही एक बार सामने आ के तो दिखाएं
आकर अपना पता दे जाएं
छोटी छोटी अँखियों में सारा संसार समाएं
मिट्टी भरी है मूँख में, मय्या को ब्रम्हाण्ड़ दिखाएं
हार गई मय्या यशोदा लाख बार तुझे समझाएं
फिर भी कान्हा अपनी हरकतों से बाज न आएं
रंगने दो मोहें रंगने दो
साँवरे के रंग में, मोहें रंगने दो
दूजा ओर कोई रंग न भाएं
मनमोहन का रंग जो किसी पर चढ़ जाएं।