Sayrana Vibes
Abstract
अभी तो रंग मेहँदी का उतरा भी नही था,
रंग लहू का लगा दिया,
खुद को ऊचा दिखाने के लिये,
फिर एक स्त्री का खून बहा दिया ।
राधाकृष्ण
भारत
खामोशी का शौर
चाँद
वो दोस्त होते...
दीपो का त्योह...
क्या लडकी होन...
दादू
रंग
बैरी चाँद
जो उनके बेज़ान ज़िस्म में कुछ सांस फूंक देगा। जो उनके बेज़ान ज़िस्म में कुछ सांस फूंक देगा।
मेरी हर सफलता में तुम साथ मेरा देना मेरी खुशियों के हर पल में तुम साथ मेरे रहना। मेरी हर सफलता में तुम साथ मेरा देना मेरी खुशियों के हर पल में तुम साथ मेरे रह...
जीने के मायने होते हैं अलग, हर किसी के लिए ! जीने के मायने होते हैं अलग, हर किसी के लिए !
खुली-खुली सरहदों वाली वो सुबह फिर कब आयेगी ? खुली-खुली सरहदों वाली वो सुबह फिर कब आयेगी ?
अभी भी उनके दिलों में गांव बसता है, बता जाते हैं। अभी भी उनके दिलों में गांव बसता है, बता जाते हैं।
अंतर्मन की चासनी से उतरे उनके अर्थ कागज पर वो जादुई असर नहीं छोड़ पाते ! अंतर्मन की चासनी से उतरे उनके अर्थ कागज पर वो जादुई असर नहीं छोड़ पाते !
वरना तो खोखलापन भी विस्थापित होने जैसा ही है। वरना तो खोखलापन भी विस्थापित होने जैसा ही है।
अपने अस्तित्व को जिंदा रख, अपने लिए भी जीना नाम है जिंदगी। अपने अस्तित्व को जिंदा रख, अपने लिए भी जीना नाम है जिंदगी।
कुर्बान कर अपनी जान को, हिन्द को खुशहाल बनाऊँगा. कुर्बान कर अपनी जान को, हिन्द को खुशहाल बनाऊँगा.
चलो ना कुछ पानी में पैर डाले सारे गमों को धो डाले चलों....। चलो ना कुछ पानी में पैर डाले सारे गमों को धो डाले चलों....।
तब जाकर यह नेता नेता बन पाते हैं। तब जाकर यह नेता नेता बन पाते हैं।
अंतर्मन के कुरुक्षेत्र में धर्मयुद्ध चल रहा निरंतर। अंतर्मन के कुरुक्षेत्र में धर्मयुद्ध चल रहा निरंतर।
ओ आफताब, अगर तुम्हें घमण्ड है प्रकाश का, तो समेटो अपनी रश्मियों को! ओ आफताब, अगर तुम्हें घमण्ड है प्रकाश का, तो समेटो अपनी रश्मियों को!
मासूम - सा चेहरा जिसे देखा मैंने तो बस देखती रही! मासूम - सा चेहरा जिसे देखा मैंने तो बस देखती रही!
अगर हर किसी को सवाब की सौगात होती। सबके मन में एकता की अजमत होती, अगर हर किसी को सवाब की सौगात होती। सबके मन में एकता की अजमत होती,
लोकतंत्र को राजतंत्र में बदलने में कामयाब हो गया होता है या हो रहा होता है। लोकतंत्र को राजतंत्र में बदलने में कामयाब हो गया होता है या हो रहा होत...
देती नहीं सुनाई अवसरों की खटखटाहट, दिल के बंद दरवाजों पर! देती नहीं सुनाई अवसरों की खटखटाहट, दिल के बंद दरवाजों पर!
हर पल नई आशाएं और ना डर रहे किसी का हर तरफ खुशियों का बसेरा ! हर पल नई आशाएं और ना डर रहे किसी का हर तरफ खुशियों का बसेरा !
समझना होगा हर किसी को, न पहुुुुंचाएं चोट कोई भी किसी को1 समझना होगा हर किसी को, न पहुुुुंचाएं चोट कोई भी किसी को1
"जल है जीवन का आधार, सृष्टि का है अमर श्रृंगार। "जल है जीवन का आधार, सृष्टि का है अमर श्रृंगार।