STORYMIRROR

Sayrana Vibes

Abstract

3.5  

Sayrana Vibes

Abstract

बैरी चाँद

बैरी चाँद

1 min
163


रात गुजरी पर मेरा बैरी चाँद आज भी न आया, 

 इंतजार करती रही मैं पर उसका कोई पैगाम ना आया 

 ‎इन बादलों भरे आसमान में पूरी रात बता दी हमने,

 ‎पर उस बैरी चाँद का एक सितारा भी नजर ना आया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract