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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract

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अंकित शर्मा (आज़ाद)

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रंग

रंग

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कई रंग हैं जीवन में,

कुछ में सबक है,

कुछ में कसक है,

कुछ मुस्कुरा रहे,

कुछ रुला रहे,

कुछ समझा रहे,

कुछ बता रहे,


पर जब सब मिल कर 

आपस में घुल जाते हैं,

हम अलग अलग उन्हें 

पहचान भी नहीं पाते हैं,


देखना आप भी 

कोई रंग 

जीवन में 

बाकी न 

रहे

क्यों कि 

सारे मिलकर ही

प्रकाश से जगमगाते हैं


यही जीवन है


जो सफेद सा 

उजला दिखता है

वो सब रंगों से पोषित है,

और जहां कोई रंग नहीं,

अंधियारा वो घोषित है।


थोड़ा थोड़ा सब मिल जाए

सारे रंगों का मान रहे,

जीवन में उल्लास रहे,

मन में ईश्वर का ध्यान रहे।


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