रँग दे बसंती चोला
रँग दे बसंती चोला
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भूल जाते हैं अक्सर हम ,कुर्बानी वीर जवानों की ,
जो पहन के चोला लाल - लाल ,छोड़ गए निशानी कई दीवानो की।
अपनी शहादत से उन्होने ,देश का नाम ऊँचा किया ,
डटे रहे और खुद मिटे ,पर तिरंगा ना झुकने दिया।
याद करे उन्हे अक्सर ,जो भारतवासी ना अश्रु बहाये ,
वो केवल देश का नागरिक रहे ,पर देशभक्त कभी ना कहलाये।
खौलता लहू नहीं अगर तुम्हारा ,दुश्मन की ललकार से ,
तो काट लो खुद शीश अपना ,अपनी ही तलवार से।
रँग दे बसंती चोला कहने वाले ,आये और आकर चले गए ,
पर अपने पीछे कितने ही चोले ,रँगने का एक जहर छोड़ गए।
आज भी इस देश के मतवाले ,कफ़न ओढ़ने को तैयार हैं ,
रँग दे बसंती चोला कह - कहकर ,दुश्मन से लड़ने हरदम तैयार हैं।।