रंग और दंभ
रंग और दंभ
मैं समय हूंँ रे,
नयी सदी के सफ़र में हूंँ !
तू मेरे संग नयी सदी का भारत है रे !
भारत या भारत का आम नागरिक !
बता ज़रा, क्या पूरी तरह आत्मनिर्भर है रे ?
आत्मनिर्भर ! हो, नहीं हो, हाँ हो तो!
बदला तो जा रहा है न तू ; हो तो रहा है न आत्मनिर्भर !
लेकिन पूरी तरह आत्मनिर्भर होता, तो उठ जाता रे !
पैरों पर खड़ा हो जाता; पंख होते, तो उड़ जाता रे !
तेरे संग हुनरों, कौशलों के रंग हैं
तेरे सबरंग मेरे ही अंग हैं रे !
रंगीले भारत रंग दूँ तुझे आ रंग ले रे !
मैं समय हूंँ रे,
नयी सदी के सफ़र में हूंँ !
तू मेरे संग नयी सदी का भारत है रे !
बेशक़, अब ख़ुशरंग कम
तुझमें किंचित बदरंग ज़्यादा हैं रे !
आपस में या तेरी ख़ुद की ख़ुद से जंग भी तो है रे !
ये तेरा ऐसा समय है रे !
ओह, मैं भी तो दंग हूंँ
नये भारत में, जाने किस में
किस बात का दंभ है रे !
मैं समय हूंँ रे,
नयी सदी के सफ़र में हूंँ !
तू मेरे संग नयी सदी का भारत है रे !
भारत या भारत का आम नागरिक !
बता ज़रा, क्या पूरी तरह आत्मनिर्भर है रे ?