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सतीश कुमार

Drama

5.0  

सतीश कुमार

Drama

रक्षाबंधन :बहिन का कवच

रक्षाबंधन :बहिन का कवच

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जब बहिन भाई को राखी पर,

रेशम का धागा बांधती हैं।

एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस !

उसी को तो वो जानती हैं ।।


प्रेम का बंधन बडा निराला,

भाई-बहन में मिलता है। इसमें न रज, तम का मेल हैं,

सत्व प्रबल हो खिलता है।।


जो रक्षा- सूत्र कलाई पर,

रेशम का धागा होता है।

भाई हृदय से माने तो उसे,

कभी नहीं वो खोता है।।


राखी पर हर बहिन भाई को,

रक्षा का कवच मानती है।।

एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस !

उसी को तो वो जानती हैं।।


भाई -फर्ज वो भी हैं निभाते,

जो मातृभूमि के प्रहरी हैं।

तन से तो फौलादी है पर,, मन में पीड़ा गहरी है।।

राखी के रंग अनेक हैं, पर अर्थ तो उनका एक है।

जब बहिन मांगे रक्षा दान,, करता अर्पण, नेक हैं।।

हिन्दुत्व ही नहीं,

हर धर्म-जात ! राखी का ममत्व पहचानती है।

एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस !

उसी को तो वो जानती हैं।।


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