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Uma Pathak

Abstract

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Uma Pathak

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रिश्तो की पोटली

रिश्तो की पोटली

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रिश्तो की पोटली ओले नहीं खुलती

हर रिश्ते का एक अलग एहसास होता है

कोई इसे अपनाता है कोई निभा नहीं पाता है

जो निभाने की कोशिश करता है वह उलझ कर रह जाता है

तो की पोटली जितना खोलो उतनी खुलती जाती है

यह मोड़ में नया रिश्ता बनाती है

कोई से समझता है कोई बिगड़ता है

रिश्तो की अहमियत हर शख्स समझ नहीं पाता है

कोई इसे जोड़ता है तो कोई से तोड़ता है

कोई इससे दूर होता है तो कोई इसके पास होता है

बाप बेटे का नहीं हो पाता मां से उसका बेटा दूर हो जाता है

रिश्तो की पोटली कोई नहीं समझ पाता है


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