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Rajeshwar Mandal

Abstract

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Rajeshwar Mandal

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रिश्ते

रिश्ते

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 मुमकिन है

  अनदेखी के कारण 

  सुंदर सी बगीया में

  फूल के जगह

  उग आए

  घास फूस 

  

और 

  जो था

  तितली भंवरों का बसेरा

  हो जाए 

  मच्छरों को पनाहगार

  तब सवाल उठता है कि

  आखिर बागवान गया कहां ?


  बेशक जवाब है

  माली का 

  बाग के प्रति

  अपनत्व का अभाव

  और यही एक शब्द

  "अपनत्व' की तलाश में

  

हजारों बेतूका

  प्रश्न प्रतिप्रश्न

  बावजूद इसके

  कोई हल नहीं


  शायद

  हरेक मसले का हल

  जवाब नहीं हो सकता

  मसलन

  कई दफे

  इसी एक शब्द

  अपनत्व को

  देना पड़ता है

  बेमन

  मौन स्वीकृति

  रिश्ते निभाने के वास्ते

  और

  छोड़ देना पड़ता है

  कई ज्वलंत सवालों का जवाब

  हाशिए पर

  मन मसोस कर


  फिर प्रश्न उठता है

  रिश्तों के बीच सवाल कैसा

  और सवालों से घिरे

  रिश्तों के बीच 

  रिश्ता कैसा ?


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