रिश्ते
रिश्ते
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मिलन जो टूटा था,
अक्सर वो शीशे की बाटली में,
रिश्ते भी वही टूट जाते हैं,
जहाँ हम ना तुम हो इस दुनिया में,
बहुत पछताए थे हम कभी कभी,
रुलाती है यादें भी बहुत,
पेड़ की पत्तो झड़ने तक,
आखिर पत्ता बोल पाता है,
खामोश मैं जिंदा हूँ,
तो भी शायद,
अक्सर रिश्ते टूट जाते है,
जहाँ हम ना तुम हो, इस दुनिया मे....
रूठ जाते है गाड़िया
जिंदगी की स्पीड कवर करने में,
मिट जाते है कफ़न
वतन निभाने के लिए ,
सांस चलती रहती है
रेल जैसे आखों के सामने,
ऐसेही देखते देखते अजनबी
अक्सर रिश्ते टूट जाते है
जहाँ हम ना तुम हो , इस दुनिया में,
हरेक दम पर
चिड़िया चिल्लाती रही
मौसम नजराना देखकर
भाग उठ रहा है
हथेली में पतेली देकर <
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बर्तन कांप उठे है
प्रकृत्ति से कृष्णा भी डर गया तब,
ऐसेही, अक्सर रिश्ते टूट जाते है,
जहाँ हम ना तुम हो, इस दुनिया में।
कहाँ गए वो रिश्ते
दर्द भरे स्वर के सुबह से
रंग उठ पड़ा है लाल गुलाल सफेद काला
शोर मचा रहे आतंक जैसे हवेली मोहल्ले में
चुप रहके गिर पड़ी है मोहब्बत,
होली भी समशान बनके,
राहत एक दूसरे के मिलन में,
अक्सर रिश्ते टूट जाते है
जहाँ हम ना तुम हो, इस दुनिया में।
हल में मजा आता है,
झेंडे जब हमारे भी लहरते है,
इसके हँसी बदनसीब को देखकर,
ढलने लगती है, सुबह शाम की तरह,
रह जाती है वह भी इच्छा अधूरी
जो मांग तौर पर सिर्फ आस्वासित हो जाती है,
अक्सर वो भी निभाते निभाते,
रिश्ते टूट जाते हैं,
जहाँ हम ना तुम हो, इस दुनिया में।