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Shubham mohurle

Others

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Shubham mohurle

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इंसान

इंसान

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गुलाब के काटों में क्या

इंसानियत होती है,

काटा तो जोर से नहीं तो 

गुलाब ही प्यार सुलझता

इंसान तो काट लेता भी है 

ओर खून चूमता भी है,,

इंसान इंसान की तरह नहीं

बल्कि ना हरक़तों से 



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