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Pooja Agrawal

Tragedy

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Pooja Agrawal

Tragedy

रिश्ते

रिश्ते

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रिश्ते मिले थे कुछ जो

जल्दी हमसे रूठ गए

जब तक आँख में भरते

उनको

वह हमसे मुख मोड़ गए।

खड़ी देखती रह गई मैं

रेत की तरह फिसल गए

कुछ ना कर पाए हम लाचार

से हाथ मलते रह गए।

 

किसी के साथ बचपन बीता

किसी के साथ जवानी

किसी ने पीठ पर बैठाया

मुझ को

किसी ने गोद में झुलाया था

किसी ने जिंदगी का पाठ

पढ़ाया

किसी ने हँसाया और

रुलाया था।


कुछ रिश्ते थे जन्म के

कुछ रिश्तों में बंध गए हम

कुछ समाज ने बना दिए

अनूठे थे अद्भुत थे

अनमोल थे वह रिश्ते 

छोटे बड़े क्या फर्क पड़ा

सब उस काल की भेंट

चढ़ गए


सबने समझाया हमें बहुत

कुछ नहीं कर सकते हम

जब मौत दस्तक देती है

नियति है यह भाग्य है उनका

वह अपनी जिंदगी पूरी कर गए।


पर इस नैनो का क्या करें

जो उनको ढूंढा करते हैं

दिल में बस नहीं चलता

रात में कांच की तरह चुभते हैं।

क्यों बनाए हैं यह रिश्ते

जो मुश्किल दिल की बढ़ाते हैं

चल देते हैं हमें छोड़ कर

जिनको हम दिल के करीब पाते हैं।


तस्वीरें लटकती कुछ दीवार पर

कुछ अंतर्मन में बसती हैं

कुछ रोज़ आ जाती है मुझे बुलाने

कुछ लोरी देकर सुलाती हैं

कोई उड़न खटोला दे दे

मैं उनसे मिलने चली जाऊँ

यह वेदना यह दुख की कोई

सीमा नहीं है

साथ में मेरे रहते थे जो

वह अब मेरे साथ नहीं है।


जब भी आत्मा छोड़कर 

शरीर जाएगी

मैं दौड़कर उनके पास जाऊंगी।

फिर उनका सानिध्य पाकर

शायद पूरी हो जाऊंगी

मैं फिर से जी जाऊंगी।


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