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Vishnu Saboo

Abstract Drama Tragedy

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Vishnu Saboo

Abstract Drama Tragedy

रिश्ते

रिश्ते

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रिश्ते बचा न सका मैं, मुझे रिश्ते संभालना ना आया।

वो चली गयी छोड़ के, मुझे हाँ में हाँ करना ना आया।


साथ देने का वादा था, मुझे झूठी तारीफ करना न आया।

उसकी सादगी का कायल था, उसका दोहरा रूप पचा ना पाया।


सच्चे दोस्त की जरूरत थी उसे, मैं गलतियां छुपा ना पाया।

चमकती चीजों का शगल था उसे, मैं सादगी से लुभा ना पाया।


आंसू तो पोंछे मैंने बहुत उसके, झूठा दिलासा देना ना आया।

सीधी बात कहने की आदत है मेरी, घुमा के कहना नहीं आया।


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