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Shayaris Hub

Romance

4.5  

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रिश्ता कुछ एसा हमारा

रिश्ता कुछ एसा हमारा

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गलतियां कुछ मेरी करें तू माफ,

गलतियां कुछ तेरी करूं मैं माफ,

ऐसे ना बनते सच्चे रिश्ते,

अदा करो कुछ तुम! अदा करू मैं कुछ साथ,


ना समझूं मैं तुम्हें जुदा,

ना समझ आए तुम्हें मैं हूं जुदा,

ना हो साथ फिर भी साथ रहे तेरा साया सदा,

ऐसे हम रहे पास हर दफा,


मंजिल मिल मुझे झलकती खुशी तेरी आंखों में हो,

पाए तु मुकाम चहेरे पर सजी चमक मेरी हो,

वादा करे साथ निभाने का,

सच्चाई दोनों के दिल में छाई हो,


सपने मेरे साथ हो तेरा,

तेरे मुकाम में तूने साथ हमेशा मेरा पाया हो,

चाहें मुकाम हो जुदा जुदा,

मंजिल में सामिल दोनों खड़े हो,


ऐसे खुशी हो एक की दिल में सुकून दोनों पाए हो,

हो दुःख एक का साथ खड़ा दूजा जैसे साया हो।


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