**जीवन गीत**
**जीवन गीत**
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**जीवन गीत**
पौ फटी,
सूर्य निकला,
उजाला हुआ,
अँधेरा फिसला।
मंद-मंद समीर,
मन्त्रमुग्ध कर गई ,
मदभरी,
मदहोश कर गई।
बेख़बर,
पीछे चलता गया,
पीछा करता गया।
कम्बखत,
बचपन छोड़ गया,
हृदय तोड़ गया
यौवन आया,
दोपहर लाया।
अचानक,
परछाई सिमटी,
पीछे खिसकी।
मिलकर,
सितारों के संग,
लाएगी,
नया एक ओर रंग।
होगा,
एक ओर छल,
आएगा नया कल।
वो भी,
चला जायेगा,
पुनःआएगा।
आता है,जाता है
आएगा,जायेगा।
आना है,जाना है
यही सफ़र है
यही रीत है
यही जिंदगी है
यही जीवन गीत है
यही असलीयत है।
--एस.दयाल सिंह --