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Om Shankar

Abstract

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Om Shankar

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ओ प्रभु साँवरे !

ओ प्रभु साँवरे !

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विष दे विश्वास न दे ओ प्रभु साँवरे !

संदेह को सांस न दे ओ प्रभु साँवरे !


तारापथ के नागमणी

जोड़ दो मुरादी कड़ी !

दुर्गति,अब प्रगति बने

श्रेष्ठतर हो नित घड़ी !!

खल को हँसी न दे ओ प्रभु साँवरे !


विलिन हो अधःपतन

मूर्च्छा से जागे नयन !

विप्र, मीत अजर बने

निरोगी हो तन,वतन !!

प्रिय को विरह न दे ओ प्रभु साँवरे !


निस्पृह तू, दुर्बोध तू

अनिकेत तू, प्रमोद तू !

अप्रहत वसनधारी तुम्हीं

प्रियंवदा केे विनोद तू !!

पेट मे दाढ़ी न दे ओ प्रभु साँवरे !


शर्वरी भयमुक्त कर

नर-नारी उन्मुक्त कर !

दृष्टि दूरदर्शी रहे

हिय भाव संयुक्त कर !!

ओछे को प्रीत न दे ओ प्रभु साँवरे !


संतानों में सद्बुद्धि दे

बसुधा को समृद्धि दे !

कनक तेरा कुंदन बने

भारत को प्रसिद्धि दे !!

ढोल में पोल न दे ओ प्रभु साँवरे !


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